पहली बार मोबाइल से की गई थी कॉल, खर्च हुआ था इतना कि आज सुनकर चौंक जाएंगे!

भारत में मोबाइल फोन आज हमारी जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब सिर्फ “हेलो” बोलने के लिए जेब से 17 रुपये खर्च करने पड़ते थे? जी हां, यही वो दौर था जब मोबाइल फोन आम लोगों की पहुंच से दूर, एक लग्जरी माना जाता था। आज हम आपको उस ऐतिहासिक दिन की कहानी बताएंगे जब भारत में पहली बार मोबाइल कॉल की गई थी और कैसे इस एक फोन कॉल ने देश में संचार की तस्वीर ही बदल दी।


31 जुलाई 1995: भारत की पहली मोबाइल कॉल का दिन

साल 1995, तारीख थी 31 जुलाई। जगह – कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग। पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने एक नोकिया मोबाइल फोन उठाया और दिल्ली के संचार भवन में बैठे केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम को कॉल किया। यह कोई साधारण कॉल नहीं थी। यह भारत की पहली मोबाइल कॉल थी।

जब ज्योति बसु ने फोन पर ‘हेलो’ कहा, तब शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि यह सरल शब्द भारत में मोबाइल युग की शुरुआत का प्रतीक बन जाएगा।


कितनी थी कॉल की कीमत?

आज कॉल करना जितना आसान और सस्ता है, 1995 में उतना ही बड़ा खर्च था—तब एक मिनट की कॉल भी जेब पर भारी पड़ती थी। कीमत 16-17 रुपये थी और इनकमिंग कॉल के लिए भी 8 रुपये प्रति मिनट देने होते थे। इतना ही नहीं, उस वक्त सिम कार्ड खरीदने के लिए करीब 4,900 रुपये खर्च करने पड़ते थे। उस समय के हिसाब से यह रकम काफी ज्यादा थी।


कौन सी कंपनी ने शुरू की मोबाइल सेवा?

भारत में पहली मोबाइल सेवा मोबाइलनेट नाम से शुरू हुई थी, जिसे मोदी ग्रुप और ऑस्ट्रेलियाई कंपनी टेल्स्ट्रा की साझेदारी वाली मोदी टेल्स्ट्रा ने लॉन्च किया था। यह सेवा शुरू करने में भूपेंद्र कुमार मोदी की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने ही ज्योति बसु से मिलकर कोलकाता को देश का पहला मोबाइल नेटवर्क वाला शहर बनाने की इच्छा जताई थी।


कौन-से मोबाइल फोन का हुआ इस्तेमाल?

ज्योति बसु ने जिस फोन से यह ऐतिहासिक कॉल की थी, वह था नोकिया 2110 हैंडसेट। उस समय यह फोन काफी बड़ा और भारी हुआ करता था। उस समय मोबाइल को जेब में रखना न केवल कठिन था बल्कि इसकी बैटरी भी जल्दी खत्म हो जाती थी। भारतीय बाजार में तब केवल मोटोरोला और नोकिया के फोन छाए हुए थे। इनकी कीमत इतनी अधिक होती थी कि आम आदमी के लिए इसे खरीदना किसी सपने जैसा था। शुरुआती दौर में मोबाइल इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी काफी सीमित थी।


शुरुआती दिनों में कितने लोग थे मोबाइल यूजर?

पहली कॉल के बाद कुछ सालों तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल सीमित ही रहा। करीब पांच साल में देश में केवल 10 लाख मोबाइल यूजर थे। इसकी वजह थी महंगी कॉल दरें, सीमित नेटवर्क और मोबाइल फोन की ऊंची कीमत। उस दौर में मोबाइल को एक स्टेटस सिंबल माना जाता था।


कब आया बड़ा बदलाव?

साल 2003 में इनकमिंग कॉल फ्री हुई और यहीं से मोबाइल यूजर्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई। फिर आया 2008, जब भारत में 3जी नेटवर्क शुरू हुआ और इंटरनेट मोबाइल में आने लगा। लेकिन असली बदलाव 2016 में आया जब रिलायंस जियो ने फ्री कॉलिंग और सस्ते डेटा की पेशकश की। इसके बाद मोबाइल फोन हर वर्ग के लोगों तक पहुंचने लगा ;आज भारत में 1.2 अरब से ज्यादा मोबाइल यूजर हैं।


मोबाइल फोन का रोल: सिर्फ कॉल नहीं, पूरी जिंदगी इससे जुड़ी

आज मोबाइल फोन सिर्फ कॉल करने का जरिया नहीं है। इससे आप पढ़ाई, बैंकिंग, शॉपिंग, सोशल मीडिया और यहां तक कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा सकते हैं। यूपीआई पेमेंट, डिजिटल इंडिया और जैम (जन धन, आधार, मोबाइल) जैसी योजनाएं इसी तकनीक पर आधारित हैं।

देश के ग्रामीण इलाकों में भी मोबाइल फोन ने बदलाव लाया है। अब गांवों में भी लोग ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं और मोबाइल से ही अपने काम चला रहे हैं।


क्या आपको पता है?

सितंबर 2004 में मोबाइल यूजर्स की संख्या ने पहली बार फिक्स्ड लाइन यूजर्स की संख्या को पीछे छोड़ा था। आज मोबाइल यूजर फिक्स्ड लाइन से 5 गुना ज्यादा हैं।

आज भारत में प्रति जीबी डेटा की कीमत 13.5 रुपये है – जो दुनिया में सबसे सस्ती है।

भारत में बने मोबाइल फोन अब देश की मांग का 97% हिस्सा पूरा करते हैं और इनमें से 30% का निर्यात भी किया जाता है।


भविष्य की ओर नजर

अब भारत में 5जी सेवा शुरू हो चुकी है और जल्द ही 6जी तकनीक पर भी काम शुरू होने वाला है। सी-डॉट जैसी संस्थाएं भारत में खुद 4जी, 5जी और 6जी नेटवर्क उपकरण बना रही हैं। इससे भारत तकनीक के मामले में आत्मनिर्भर बन रहा है।


आखिर में

जिस मोबाइल कॉल से एक दौर में सिर्फ अमीर लोग जुड़े थे, आज वही तकनीक हर किसी की जिंदगी का हिस्सा बन गई है। ज्योति बसु की वो पहली कॉल अब सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन चुकी है कि कैसे एक कदम पूरे देश को बदल सकता है।

आज जब आप अपने फोन से “हेलो” कहते हैं, तो याद रखिए – इस शब्द ने कभी पूरे देश में एक नई क्रांति की शुरुआत की थी।

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